Saturday 11 April 2015

हेमिस गोम्पा या हेमिस बौद्ध मठ ,लद्दाख
जम्मू कश्मीर में लेह के दक्षिण-पूर्व दिशा में शहर से 45 कि.मी. की दूरी पर, हेमिस मठ स्थित है। इसे लद्दाख के सुंदर मठों के रूप में जाना जाता है। मठ में दो-द्वार हैं, जहाँ से मध्य भाग तक पहुँचा जा सकता है। छठे तिब्बती गुरु की याद में चलने वाले कार्यक्रम के 10 वें दिन 'मास्क नृत्य समारोह' इसी मठ में आयोजित किया जाता है। इस मठ का निर्माण 1630 ई। में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाया था। 1972 में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने मठ का पुर्ननिर्माण करवाया। यह धार्मिक विद्यालय धर्म की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य स्थापित किया गया था। तिब्बती स्थापत्य शैली में बना यह मठ बौद्ध जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करता है। मठ के हर कोने-कोने में कुछ न कुछ विशिष्ट है और कई तीर्थ भी हैं लेकिन पूरे मठ का आकर्षण बिंदु ताँबे की धातु में ढली भगवान बुद्ध की प्रतिमा है। मठ की दीवारों पर लगी हुई कलाकृतियाँ वर्द्धन भगवान के जीवन को चित्रित करती हैं, वर्द्धन भगवान बौद्ध धर्म में चारों भागों के ईश्वर माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ जीवन के चक्र को दर्शाते कालचक्र को भी स्थान मिला है। मठ के दो मुख्य भाग है जिन्हे दुखांग और शोंगखांग कहा जाता है। वर्तमान में इस मठ की देखरेख द्रुकपा संप्रदाय लोग किया करते है, यह लोग बौद्ध धर्म के ही अनुयायी हुआ करते हैं। जून के अंत में या जुलाई के प्रारंभ में यहाँ भारी सख्ंया में लोग आते हैं और गुरू पद्मसंभव के लिए वार्षिक उत्सव का आयोजन करते हैं। गुरू पद्मसंभव तिब्बती बौद्ध धर्म के परिचित व्यक्ति हैं

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